



कोनिया में माँ आदिशक्ति का प्यारा सजा है दरबार
हनुवंतिया की तर्ज पर विकसित करने की योजना पर नही हुआ अमल
(आनंद सराफ, बरही)
बरही/कटनी। माँ काली धाम कोनिया, एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जो माँ काली के भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। यह मंदिर अपनी प्राकृतिक सुंदरता, धार्मिक केंद्र के रूप में पहचान हासिल कर चुका है। कटनी जिले के तहसील मुख्यालय बरही से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर महानदी के मुहाने में रमणीय पहाड़ी में मां आदिशक्ति काली का दरबार सजा हुआ है। यहां के पुजारी पंडित इंद्रपाल इंदु मिश्रा बताते है कि नवरात्रि में यहां दूर-दूर से भक्त पहुँचते है और अपनी वेदना मां को सुनाते है, जिनकी कामनाएं माँ पूर्ण करती है। चैत्र नवरात्रि में यहां विविध धार्मिक अनुष्ठान होते है। इस क्षेत्र को हनुवंतिया की तर्ज पर विकसित करने की योजना पर अमल नही हो रहा है, जिससे यहां की पर्यटन की अवधारणा पर पानी फिरा हुआ है।
अपार शांति का केंद्र है माँ काली धाम
माँ काली धाम कोनिया का मंदिर प्राचीन काल से माँ काली की उपासना का केंद्र रहा है। यहाँ की मूर्ति और स्थल में अलौकिकता के दर्शन होते है। यह मंदिर एक शांत और सुंदर पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है, जो इसे एक तीर्थ स्थल के साथ-साथ प्रकृति प्रेमियों के लिए भी खास बनाता है। आसपास का हरा-भरा वातावरण और शांतिपूर्ण माहौल भक्तों को ध्यान और पूजा के लिए उपयुक्त बनाता है। माँ काली धाम कोनिया न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यहाँ की शांति, सौम्यता, रमणीयता और दिव्यता हर किसी को अपनी ओर खींचती है।
मुख्यमंत्री का जल पर्यटन की घोषणा पर अमल नही
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कटनी की सभा में करीब 5 वर्ष पूर्व कोनिया को पर्यटन के रूप में विकसित करने के लिए हनुमंतिया की तर्ज पर यहां के बाणसागर के बैक वाटर क्षेत्र जल पर्यटन के मद्देनजर मोटरवोट/क्रूज चलाने की घोषणा की थी, जिसके तहत पर्यटन विकास निगम द्वारा यहां करीब 50 लाख रुपए खर्च कर मंदिर प्रांगण में सौन्दर्यकरण कार्य कराया गया, लेकिन जल पर्यटन पर ध्यान अब तक नही दिया गया।
कटनी के तात्कालीन कलेक्टर ने किया था प्रयास
कोनिया गांव के सरपंच तीरथ पटेल बताते है कि कटनी के तात्कालीन कलेक्टर अवि प्रसाद ने कोनिया पहुँचकर यहां की आवो-हवा से रूबरू होने के उपरांत इसे विकसित करने के प्रयास किए थे, डीएमएफ मद से करीब 5 करोड़ रुपए खर्च करने की योजना भी बनी थी, पर्यटन विभाग के अधिकारियों को भी भेजा गया गया, जमीन भी उनके नाम एलाट की गई, शासन को प्रस्ताव भी भेजने की चर्चाएं थी, लेकिन इसी बीच कलेक्टर अवि प्रसाद का स्थानांतरण होने के साथ ही यहां का विकास भी शायद दफन हो गया।